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क्या है औद्योगिक रुग्णता (industrial sickness )

इस ब्लॉग में हम महत्वपूर्ण टॉपिक औद्योगिक रुग्णता के बारे में संक्षिप्त जानकारी लेंगे तो चलिए देखते हैं औद्योगिक रुग्णता के बारे में-

किसी भी देश के विकास का आधार औद्योगिक विकास होता है जो अर्थव्यवस्था को मजबूत आधार प्रदान करता है । कोयला और लोहा ऐसे दो उद्योग आधारभूत उद्योग हैं जिन पर अन्य उद्योग टिके होते हैं ।देश काल और परिस्थिति के अनुसार उद्योग के स्वरूप में परिवर्तन होते रहते हैं नए उद्योग स्थापित होते हैं पुराने उद्योग समाप्त हो जाते हैं या फिर समय के अनुसार अपने को परिवर्तित कर लेते हैं।
औद्योगिक रुग्णता के अंतर्गत औद्योगिक इकाइयां उसी समय परिस्थिति और नवनिर्माण के दौर से गुजरने के क्रम में अपनी पुरानी स्थिति में बने रहते हुए अपने अस्तित्व को बचाने में सफल नहीं हो पाती हैं और रुग्ण  इकाइयों की श्रेणी में आ जाती हैं । यह स्थिति उनकी वर्तमान वर्ष में होती तो है ही साथ ही आने वाले वर्षों में भी इसकी संभावना बनी रहती है।

सामान्य अर्थ में इसे ऐसे समझते हैं

*ऐसी औद्योगिक इकाई जिसके current assets current liabilities   से कम रहे हैं।

*जिसके current liabilities और current assets  प्रतिदिन की  व्यवसाय  जरूरतों को पूरा नहीं कर पाती हैं और यही स्थिति लगातार बनी रहती है औद्योगिक रुग्ण  इकाई कहलाती है ।

आरबीआई के अनुसार एक औद्योगिक इकाई उस स्थिति में रुग्ण  मानी जाती है जिसे
*वर्तमान वर्ष में नकद हानि हुई है 
*और आगामी 2 वर्षों में उसे नकद हानि रहने की संभावना होती है।

औद्योगिक रुग्णता के कारण

A प्रारंभिक कारण 

1अनुभव के अभाव के कारण उद्योग उद्योग के स्वामी द्वारा गलत उद्योग का चयन किया जाता है और गलत परियोजना का चयन उसकी रुग्णता को जन्म देता है.

2 परियोजना के चयन करने के पश्चात उसे विलंब से शुरू करने पर और विलंब से पूरा करने पर परियोजना की लागत बढ़ जाती है जो औद्योगिक इकाई के जन्मजात रुग्णता का कारण बनती है

3 औद्योगिक इकाई के लिए अनुपयुक्त स्थान का चयन, गलत तकनीकी का उपयोग और प्लांट और मशीनरी का अनुप्रयोग उस इकाई के रुग्ण होने का कारण होती है। 

4 वित्त केअभाव के कारण औद्योगिक इकाई अल्प पूंजीकरण की समस्या का शिकार होती है जिसके चलते शुरू से ही औद्योगिक इकाई रुग्ण  हो जाती है।

B आंतरिक कारण

1 अकुशल प्रबंध -

एक बीमार इकाई के आंतरिक प्रबंध में कमी के कारण प्रबंध के विभिन्न कार्यों में सामंजस्य स्थापित नहीं हो पाता है जैसे कच्ची सामग्री अगर देर से प्राप्त होती है तो विक्रय के लिए निर्मित माल का अभाव होता है यानी प्रबंध के विभिन्न कार्य जो विभिन्न विभागों द्वारा संचालित किए जाते हैं उनमें परस्पर तालमेल स्थापित नहीं हो पाता है जो औद्योगिक रुग्णता का कारण होती है.

2 औद्योगिक संबंधों का अभाव

औद्योगिक  संबंध से तात्पर्य मजदूर और स्वामी के मध्य होने वाले संबंधों से है आए दिन इनमें विवाद होते रहते हैं यह विवाद मुख्यता उत्पादन की तकनीकी में परिवर्तन ,
छटनी से संबंधित, मजदूरी को लेकर होते हैं । इन विवादों के चलते हड़ताल होते हैं जिससे औद्योगिक इकाई  रुग्ण  हो जाती है।

3 स्वामित्व को लेकर मतभेद

ऐसी बहुत सी हो दोगी कि कहां है जो शुरू से ही एक स्वामित्व के अंतर्गत थी औद्योगिक विकास के कारण वह विस्तृत होकर कंपनी का रूप ले लेती हैं जिसपर स्वामित्व किसी परिवार का होता है लेकिन स्वामित्व वर्चस्व को लेकर आंतरिक राजनीति होने लगती है जिसके कारण उस इकाई के संचालन पर प्रभाव पड़ता है और वह इकाई रुग्ण हो जाती है।

 C बाह्य कारण

1 आर्थिक शिथिलता 

ऐसे उद्योग जिनमें वस्तु की मांग लो क्लोज पूर्ण होती है फोन में आर्थिक मंदी के कारण उत्पादन को कुछ समय के लिए रोक दिया जाता है यह उद्योग कॉटन और टेक्सटाइल इंजीनियरिंग इलेक्ट्रॉनिक गुड्स होते हैं जिनमें उत्पादन बंद होने के कारण औद्योगिक रुग्णता आ जाती है।

2 बिजली

बढ़ते औद्योगीकरण के कारण बिजली की मांग ज्यादा होती है जिसकी  आपूर्ति समय पर नहीं हो पाती है। इसी कारण से कुछ औद्योगिक इकाइयों को अपने उत्पादन को कम करना पड़ता है या उन्हें बंद करना पड़ता है जो औद्योगिक रुग्णता का कारण बनती है.

3 अंतर्राष्ट्रीय परिस्थिति

वर्तमान व्यवस्था के अंतर्गत भूमंडलीकरण के कारण सभी देश आयात निर्यात द्वारा एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। बहुत सारे देश तेल का आयात करते हैं लेकिन तेल के मूल्य में वृद्धि से वस्तुओं के आयात और निर्यात में कमी आती है जिसका प्रभाव उद्योग जगत पर पड़ता है और भी कारण जैसे विदेशी सहायता ,टेक्नॉलेजी का आयात ऐसे कारण हैं जो उद्योग को प्रभावित करते हैं। उनमें किसी भी प्रकार का प्रतिकूल परिवर्तन औद्योगिक इकाइयों की  रुग्णता  का कारण बनता है।

4 सरकार की नीतियों में परिवर्तन

 सरकार द्वारा टैक्स बढ़ाना साख नीति में वृद्धि करना, लेबर पॉलिसी में परिवर्तन करना प्रत्यक्ष रूप से उद्योग को प्रभावित करती है जो विक्रय में कमी करती हैं और नकद हानि का कारण बनती है. और वह औद्योगिक इकाई बीमार हो जाती है आनेे वाले दिनों में उसेे हानि की संभावना हो जाती है।

अब प्रश्न है बीमार इकाई को पहचाना कैसे जाए ?

इसके कुछ लक्षण होते हैं जिन लक्षणों के आधार पर हम बीमार इकाई की पहचान कर सकते हैं

1 बैंकों के साथ मधुर संबंध नहीं होना

जिस औद्योगिक इकाई के बारे में हमें पता करना है कि वह एक बीमार यूनिट है कि नहीं तो उसके बैंक के साथ  संबंध  को जानेंगे । इसके अंतर्गत बैंक द्वारा दिए जाने वाले ऋण की राशि का भुगतान इस यूनिट द्वारा समय पर किया गया है कि नहीं इसको देखते हैं। यदि लिए गए ऋण का भुगतान समय पर नहीं किया जाता है तो इसका अर्थ यह हुआ कि बैंक के साथ इस यूनिट के संबंध अच्छे नहीं है दूसरे शब्दों में debt equity ratio ठीक नहीं है.

2 नकद प्रबंध में कठिनाई

इसके अंतर्गत औद्योगिक इकाई में cash का inflow  यदि स्थिर नहीं होता है तो यह गड़बड़ी पैदा होती है। कभी  cash inflow स्थिर रहता है outflow  ज्यादा हो जाता है कभी outflow  स्थिर रहता है और inflow कम हो जाता है जिसके चलते cash management  में कठिनाई होती है ।

3 पूंजी संगठन

यदि औद्योगिक इकाई की पूंजी में equity कम और debt ज्यादा है तो वह sick unit होगी।

4 वैधानिक कानून के पालन का अभाव

दि उस औद्योगिक इकाई के द्वारा वैधानिक कानून का पालन नहीं किया जा रहा है जैसे समय पर करों का भुगतान करना ,समय पर बैंक द्वारा लिए गए ऋण  को चुकाना ,आवश्यक सूचना है जो किसी प्रकार के परिवर्तन से संबंधित हैं उसे रजिस्टार को देना यदि वह कंपनी प्रॉपर तरीके से नहीं करती है तो यह उसके sick unit होने के लक्षण है।

5 यदि उस व्यवसाय की इकाई  fixed assets  ज्यादा होंगी और current assets  कम होगी तो भी वह इकाई  बीमार इकाई होगी.

6 यदि औद्योगिक इकाई के कार्यशील पूंजी में कमी होती है तो भी वह औद्योगिक इकाई बीमार इकाई के रूप में पहचानी जाती है जिसकी पहचान stock turn over ratio,  current ratio,working capital ratio liquidity ratioसे करना आसान होता है।

7  यदि उस व्यावसायिक इकाई के sales  में लगातार कमी आ रही हो तो भी उसकी पहचान बीमार इकाई के रूप में की जाएगी.

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