https://youtu.be/2laNiKlR938
उद्यमिता की परिभाषा
उद्यमिता से आशय उद्यमी द्वारा किए जाने वाले कार्यों से है जिसमें उद्यमी किसी नए व्यवसाय को स्थापित करने से संबंधित विभिन्न कार्यों को करता है.
उद्यमी
उद्यमी से ऐसे ऐसे व्यक्ति से है जो जोखिम को उठाता है संसाधनों की व्यवस्था करता है और व्यवसाय के प्रति कौशल दृष्टिकोण रखने वाला होता है.
संसाधन
मानवीय आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए जिन वस्तुओं पर लंबी अवधि तक निर्भर रहा जाता है संसाधन कहलाते हैं.
उद्यमी द्वारा प्रयुक्त संसाधन
पूंजी ,भूमि ,श्रम ,कच्चा माल, संगठन
उद्यमिता की आवश्यकता एवं महत्व
1 नवाचारों को प्रोत्साहन देने में - यहां नवाचार का मतलब है उत्पादन की नई विधि नई मशीन नई वस्तुओं को नई टेक्नोलॉजी द्वारा उत्पादन करना है .
2 व्यावसायिक इकाइयों की स्थापना में- व्यवसायिक इकाइयों की स्थापना के लिए उद्यमिता की महत्वपूर्ण भूमिका होती है जिसके अंतर्गत आधुनिक मशीनें प्रशिक्षित उद्यमी द्वारा सफलतापूर्वक लगाई जाती हैं और उद्योग स्थापित किया जाता है.
3 आर्थिक विकास को तेज करने में- उद्यमिता द्वारा औद्योगिकरण की प्रक्रिया तेज होती है जिससे आर्थिक विकास में मदद मिलती है व्यवसाय कौशल बढ़ते हैं.
4 पूंजी के निर्माण में - उद्यमिता देश की बचतों को इकट्ठा कर गति प्रदान करती है जिससे समुचित प्रत्यय प्राप्त होता है और पूंजी निर्माण में मदद मिलती है.
5 सामाजिक परिवर्तन का आधार- उद्यमिता सामाजिक अर्थ में सामाजिक परिवर्तन का आधार होता है जो कि नए उद्योगों की स्थापना से समाज के रूढ़िवादी विचारधारा को बदलता है
उद्यमिता के कार्य
1 उद्यमिता द्वारा नव सृजन का कार्य होता है जिसके अंतर्गत नए उत्पादन विधि, नए बाजार, नए संगठन, कच्चे माल की आपूर्ति के नए स्रोत इत्यादि का पता लगाया जाता है
2 उद्यमिता संगठन का निर्माण भी करता है ताकि जिम्मेदार लोगों को कार्यों को सौंपा जा सके और वह निश्चित उद्देश्य को प्राप्त कर सकें.
3 उद्यमिता के अंतर्गत वस्तु उत्पादन से लेकर के वितरण तक के समस्त कार्य सम्मिलित होते हैं.
4 उद्यमिता में सृजनात्मक का महत्वपूर्ण स्थान होता है प्रत्येक उद्यमी ने परिवेश में पुराने उत्पादों में परिवर्तन लाता है और नए अवसरों की खोज कर नए उत्पादों से समाज को परिचित कराता है.
5 उद्यमिता का कार्य जोखिम और चुनौतियों से भरा होता है इसीलिए उन चुनौतियों को पहचान कर कीमत और बाजार के अनिश्चित व्यवहार का सामना उद्यमिता द्वारा ही किया जा सकता है.
उद्यमिता के स्वरूप
1 स्वामित्व के आधार पर
2 परिवर्तन के प्रति दृष्टिकोण के आधार पर
3 स्थान के आधार पर
4 साहसिक कार्य के आधार पर
1 स्वामित्व के आधार पर
इसमें व्यक्तिगत उद्यमिता, राज्य उद्यमिता, व्यक्ति और सरकार का मिला-जुला, रूप व्यक्तियों का समूह सम्मिलित होते हैं
2 परिवर्तन के प्रति दृष्टिकोण के आधार पर
इसमें उत्पादन की परंपरागत प्रणाली और
आधुनिक उत्पादन की विधियां सम्मिलित होते हैं.
3 स्थान के आधार पर
इसमें किसी क्षेत्र विशेष में स्थापित उपक्रम और एक उपक्रम द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में स्थापित इकाइयां दोनों सम्मिलित होती हैं
4 साहसिक कार्य के आधार पर
नैत्यक और नवीन कार्य
नैत्यक कार्य में साहसी का मुख्य कार्य उपयुक्त योजनाओं को निर्णय को एवं कार्यक्रम को सफल बनाना है उचित तरीके से प्रबंधन करना है.
नवीन कार्य में नवीन विचारों का सृजन उनका क्रियान्वयन लाभ के अवसरों की खोज शामिल किए जाते हैं.
उद्यमिता के सामाजिक और आर्थिक लाभ
1 लघु व्यवसाय का विकास करना
2 बाजार की व्यवस्था करना एकाधिकार के मूल्य पर नियंत्रण होना
3 श्रेष्ठ वस्तुओं को उचित मूल्य पर उपलब्ध करना
4 संभावी अवसरों की पहचान करना और व्यवसाय को विकसित करने का प्रयास करना
5 उद्यमिता द्वारा वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन द्वारा लोगों के सामाजिक जीवन स्तर में वृद्धि करना
भारत में उद्यमिता की भूमिका
भारत जैसे देश में आत्मविश्वास और दूरदृष्टा व्यक्ति नौकरी के जगह पर छोटा व्यवसाय प्रारंभ करता है .उद्यमिता लोगों को स्वतंत्र जीवन जीने का अवसर प्रदान करती है .भारतीय अर्थव्यवस्था की धीमी प्रगति का कारण उद्यमिता का धीमा विकास है. श्रम शक्ति और संसाधन की पर्याप्तता के बावजूद उद्यमिता की कमी है . इन चीजों को वर्तमान सरकार ने पहचाना है. इसलिए उद्यमियों को विशेष सुविधाएं दी जा रही हैं . उद्यमियों को दी जाने वाली सुविधाओं के लिए केंद्र सरकार द्वारा कई संस्थाएं जैसे भारतीय औद्योगिक विकास बैंक
भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक ,लघु उद्योग विकास संगठन ,लघु उद्योग निगम उद्योग निदेशालय , स्थापित किए गए हैं . कुछ वित्तीय संस्थाओं द्वारा उभरते युवकों और उद्यमियों को प्रोत्साहित किया जा रहा है . सरकार और इन संस्थाओं के निरंतर प्रयत्नों से अनुकूल परिणाम सामने आने लगे हैं . बड़ी संख्या में अति लघु और मध्यम औद्योगिक इकाइयां लगने लगी है .उद्यमिता जिन समस्याओं का सामना करती है उनमें कच्चे माल की कमी पूंजी की कमी, बिजली की कमी ,प्रशिक्षण सुविधा का अभाव, गुणवत्ता का अभाव, विपणन का अभाव सम्मिलित है. सरकार को इसका स्थाई निराकरण करना चाहिए.
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