Skip to main content

उद्यम का प्रवर्तन

भूमिका

उद्यमिता और उद्यमी को जानने के पश्चात अब प्रश्न यह उठता है कि उद्यम को स्थापित कैसे किया जाए ? जहां उद्यम स्थापित करने की बात आती है तब विचारों के सृजन से लेकर विभिन्न विचारों में से किसी एक विचार का चयन कर उसको कार्यान्वित रूप देने तक की समस्त क्रिया ही उद्यम की स्थापना से संबंधित होती हैं।
हमने पिछले ब्लॉक में उद्यमिता और उद्यम से संबंधित बातों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी ली। इस ब्लॉग में उद्यम की स्थापना और उससे पूर्व की क्रिया- विधियों  के बारे में जानकारी लेंगे । यह क्रियाविधि प्रवर्तन कहलाती है । अब प्रश्न उठता है  "प्रवर्तन क्या है" आइए देखते हैं -

प्रवर्तन की परिभाषा

 प्रो. ई एस मेड के अनुसार

"प्रवर्तन में चार तत्व निहित होते हैं खोज, जांच, एकत्रीकरण और व वित्त."

 गुथमैन और डूगल के अनुसार

"प्रवर्तन उस विचारधारा के साथ आरंभ होता है जिससे किसी व्यवसाय का विकास किया जाना है और इसका कार्य कब तक चलता रहता है जब तक कि वह व्यवसाय एक चालू संस्था के रूप में अपना कार्य पूर्ण रूप से आरंभ करने के लिए तैयार नहीं हो जाता है."

 निष्कर्ष

प्रवर्तन ऐसी प्रक्रिया है जिसमें किसी उपक्रम  की स्थापना के विचार से लेकर उसकी वास्तविक स्थापना तक के समस्त कार्यों को सम्मिलित किया जाता है.
प्रवर्तन की परिभाषा से ही इसकी लक्षण स्पष्ट हो गई या  इसके लक्षण स्पष्ट हो गए आइए देखते हैं इसकी विशेषताएं क्या है?

प्रवर्तन के लक्षण

☺प्रवर्तन के अंतर्गत किसी उद्योग को प्रारंभ किया जाता है.

☺ प्रवर्तन का कार्य विचारों की उत्पत्ति से लेकर व्यवसाय प्रारंभ करने तक की स्थिति तक लाने में समाप्त हो जाता है.

☺ प्रवर्तन में किसी उद्योग को प्रारंभ करने के लिए विभिन्न कार्य जैसे व्यवसाय की खोज की जांच उत्पादन के साधनों का एकत्रीकरण और वित्त व्यवस्था तक का कार्य सम्मिलित किया जाता है.

 अवसरों का विश्लेषण

अवसरों के विशेषण से आशय परियोजनाओं के विचारों के गुण दोष जोखिम बाधाओं और कमियों के व्यापक रूप में मूल्यांकन से है .नए विचारों ,नए अवसरों ,नए अन्वेषण और नई अवधारणाओं की पहचान कर परियोजनाओं को व्यवहारिक रूप देनेवाली बाधाओं ,रुकावटों एवं दुखो का सामना करने से है.

अवसरों के प्रकार

1 पर्यावरण में विद्यमान अवसर जैसे कागज का कारखाना, जूते का कारखाना
2 निर्मित अवसर जैसे टेलीविजन ,कंप्यूटर सॉफ्टवेयर बनाना मरम्मत करना

अवसर के घटक

1  संसाधन विश्लेषण
2 वित्तीय विश्लेषण
3 तकनीकी विश्लेषण
4 संयंत्रों के लिए स्थान और अभिन्यास विश्लेषण
5 मूल्यांकन विश्लेषण
6 बाजार मांग विश्लेषण

1 संसाधनों का विश्लेषण

किसी परियोजना को लागू करने के लिए संसाधनों की उपलब्धता और उनके स्रोतों को ध्यान में रखा जाता है संसाधनों से तात्पर्य भूमि भवन कच्चा माल यंत्र मानव शक्ति वित्त इत्यादि से है.

2 वित्ती विश्लेषण

इसके अंतर्गत परियोजनाओं के कुल लागत भूमि ,भवन ,यंत्र, कच्चा माल ,नकद, कार्यशील पूंजी ,सरकार से प्राप्त की तें विनियोग और प्रत्याय इत्यादि पर ध्यान दिया जाता है.

3 तकनीकी विश्लेषण

इसके अंतर्गत तकनीकी संभावनाओं का विश्लेषण किया जाता है तकनीकी दृष्टि से परियोजनाओं को लागू करने में यदि कोई समस्याएं आती हैं तो उन परियोजनाओं को त्याग दिया जाता है.

4 संयंत्रों के लिए उपयुक्त स्थान का चयन और अभिन्यास विश्लेषण

इसमें संयंत्र के स्थान का चयन करते समय कच्चे माल की आपूर्ति, इंधन ,जल ,परिवहन ,संचार, बाजार के निकटत सहायक उद्योगों की स्थिति पर भी ध्यान दिया जाता है. इसके अतिरिक्त उद्योग में संयंत्र को स्थापित करने के लिए आदर्श स्थान काफी महत्वपूर्ण योगदान होता है.

5 मूल्यांकन विश्लेषण

इसमें परियोजनाओं के विभिन्न पहलुओं का मूल्यांकन लाभ देयता का मूल्यांकन ,सामाजिक लाभ देयता  का विश्लेषण संसाधनों और अन्य  प्रभाव का मूल्यांकन किया जाता है.

6 बाजार और मांग विश्लेषण

उत्पादों की मांग उत्पन्न करना एवं विक्रय करना सबसे अधिक  कठिन कार्य है .इसी कारण बाजार और मांग विश्लेषण को अवसर विश्लेषण का प्रारंभ बिंदु माना जाता है. इसके अंतर्गत वर्तमान उत्पादन की पद्धति, पूर्ति के स्रोत, विपणन प्रतिस्पर्धा ,भावी मांग का अनुमान, उपभोक्ताओं की रुचियां, सरकार की नीतियां, इत्यादि का अध्ययन किया जाता है और उनका विश्लेषण किया जाता है☺☺

Comments

  1. अवसर के घटक नहीं प्रवर्तन के घटक चाहिए

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

क्या है औद्योगिक रुग्णता (industrial sickness )

इस ब्लॉग में हम महत्वपूर्ण टॉपिक औद्योगिक रुग्णता के बारे में संक्षिप्त जानकारी लेंगे तो चलिए देखते हैं औद्योगिक रुग्णता के बारे में- किसी भी देश के विकास का आधार औद्योगिक विकास होता है जो अर्थव्यवस्था को मजबूत आधार प्रदान करता है । कोयला और लोहा ऐसे दो उद्योग आधारभूत उद्योग हैं जिन पर अन्य उद्योग टिके होते हैं ।देश काल और परिस्थिति के अनुसार उद्योग के स्वरूप में परिवर्तन होते रहते हैं नए उद्योग स्थापित होते हैं पुराने उद्योग समाप्त हो जाते हैं या फिर समय के अनुसार अपने को परिवर्तित कर लेते हैं। औद्योगिक रुग्णता के अंतर्गत औद्योगिक इकाइयां उसी समय परिस्थिति और नवनिर्माण के दौर से गुजरने के क्रम में अपनी पुरानी स्थिति में बने रहते हुए अपने अस्तित्व को बचाने में सफल नहीं हो पाती हैं और रुग्ण  इकाइयों की श्रेणी में आ जाती हैं । यह स्थिति उनकी वर्तमान वर्ष में होती तो है ही साथ ही आने वाले वर्षों में भी इसकी संभावना बनी रहती है। सामान्य अर्थ में इसे ऐसे समझते हैं * ऐसी औद्योगिक इकाई जिसके current assets current liabilities   से कम रहे हैं। *जिसके current liabilities और curren...

उद्यमीय पर्यावरण

दोस्तों पिछले ब्लॉग में हमने उद्यमिता और उद्यमी के बारे में देखा अब उद्यमीय पर्यावरण  के बारे में बात करेंगे जिसके अंतर्गत एक उद्योग स्थापित होता है । किसी भी उद्योग को स्थापित करने के लिए प्रवर्तक के द्वारा यानी वह व्यक्ति जो उद्योग की सोच से लेकर उसको कार्यान्वित करने की स्थिति तक के लिए जिम्मेदार होता है यह काफी महत्वपूर्ण होता है कि उद्योग स्थापित करने के अनुकूल पर्यावरण है या नहीं । इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए हम लोग आगे उद्यमीय  पर्यावरण की चर्चा करेंगे चलिए देखते हैं उद्यमीय पर्यावरण के बारे में यह है क्या..  उद्यमीय  पर्यावरण की परिभाषा उद्यमीय पर्यावरण दो शब्दों से मिलकर बना है उद्यमीय और पर्यावरण.  उद्यमी का अर्थ है उद्यम से संबंधित जबकि पर्यावरण से तात्पर्य है मनुष्य जिस देश काल या परिस्थिति में जन्म लेता है और जीवन यापन करता है. रॉबिंस के अनुसार," पर्यावरण उन संस्थाओं या शक्तियों से बना होता है जो किसी संगठन के कार्य निष्पादन को प्रभावित करती हैं किंतु उस संगठन का उस पर बहुत कम नियंत्रण होता है". जोक एवं गुलिक के अनुसार ,"पर्यावरण में फर्म के ...