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भारत में बैंकिंग व्यवस्था का स्वरूप

पिछले  ब्लॉग में वाणिज्यिक बैंक के बारे में संक्षिप्त चर्चा की गई । वाणिज्यिक बैंक के पश्चात इस ब्लॉग में हम भारत में बैंकिंग व्यवस्था के स्वरूप की चर्चा करेंगे क्योंकि इसकी जानकारी के बिना अन्य जानकारियां अधूरी है। बैंकिंग स्वरूप को जानने के लिए हम इसे तीन काल खंडों में विभाजित करते हैं 

1 स्वतंत्रता से पहले (1947 से पूर्व )

2 स्वतंत्रता के पश्चात (1947 के बाद )

3 वर्तमान स्वरूप

1 स्वतंत्रता प्राप्ति से पहले (1947 के पूर्व)

जेंसी हाउसेस की स्थापना आधुनिक बैंकिंग प्रणाली का पहला पड़ाव था ।यह अपने व्यवसाय के साथ-साथ जनता की जमानों को स्वीकार करते थे और जरूरत पड़ने पर जनता को यह व्यापार से संबंधित ऋण भी प्रदान करते थे ।शुरू में इन हाउसेज के पास पूंजी की कमी थी लेकिन धीरे-धीरे पूंजी बढ़ने के कारण इनके स्वरूप में परिवर्तन हुआ जिससे संयुक्त पूंजी वाले बैंकिंग प्रणाली का जन्म हुआ।
* उसके पश्चात तीन प्रेसिडेंसी बैंकों की स्थापना हुई जो आधुनिक बैंक थे

 1806 बैंक ऑफ कोलकाता ,कोलकाता 

1840 बैंक ऑफ़ मुंबई ,मुंबई 

1843 बैंक ऑफ़ मद्रास ,मद्रास

* यह बैंक ईस्ट इंडिया कंपनी के धन की आवश्यकता ओं को पूरा करने के लिए स्थापित किए गए और इन्हें निर्गमन का भी अधिकार दिया गया । 

*1921में इन तीनों बैंकों को मिलाकर इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया का निर्माण किया गया ।

*ज्वाइंट स्टॉक बैंकिंग सिस्टम यानी संयुक्त पूंजी बैंकिंग प्रणाली के अंतर्गत अन्य बैंक जो स्थापित किए गए वह सीमित दायित्व के सिद्धांत पर आधारित थे।
 
इनकी संख्या 14 के करीब थी ।

*अवध कमर्शियल बैंक पूर्ण रूप से भारतीय प्रबंध द्वारा संचालित पहला बैंक था।

*1905 -1913 तक अन्य बैंक स्थापित हुए जिनमें बैंक ऑफ इंडिया ,पंजाब नेशनल बैंक ,सेंट्रल बैंक बैंक ऑफ बड़ौदा ,इलाहाबाद बैंक ,इंडियन बैंक, बैंक ऑफ मैसूर शामिल हैं।

*19 13 -17 के बीच बैंकों पर संकट आने के कारण बहुत सारे बैंक बंद हो गए ।

*1921 में कोलकाता ,मद्रास और मुंबई इन तीनों स्थानों के प्रेसिडेंसी बैंकों को एक कर इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया का निर्माण किया गया ।

*1926 में हिल्टन यंग कमीशन की सिफारिश पर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया अधिनियम 1934 पारित किया गया और 1 अप्रैल 1935 में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को स्थापित किया गया।

* रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को केंद्रीय बैंक से संबंधित कार्य सौपे गए।

2 स्वतंत्रताा के  पश्चात (1947 के बाद)

*स्वतंत्रता के पश्चात रिजर्व बैंक का 1 जनवरी 1949 को राष्ट्रीयकरण कर दिया गया।

*बैंकिंग कंपनियों के विसंगतियों को दूर करने के लिए भारतीय बैंकिंग नियमन अधिनियम 1949 पारित किया गया ।

*बैंकिंग नियमन अधिनियम 1949 के अंतर्गत आरबीआई को बैंकिंग संस्थाओं के नियम बनाने और नियंत्रण हेतु विस्तृत विस्तृत अधिकार दिए गए ।

*विकास बैंकों की स्थापना की गई जो एक ऋणदातृ  के रूप में अपनी भूमिका निभाते हैं जिनमें आईएफसीआई आईडीबीआई, आई सी आईसीआई ,एस एफ सी इत्यादि मुख्य हैं।

*सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में इंपीरियल बैंक का राष्ट्रीयकरण कर 1 जुलाई 1955 को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया स्थापित किया गया।
*
 1959 को एसबीआई -1959 अधिनियम के अंतर्गत 8 अन्य एसबीआई के सहायक बैंक बनाए गए जिसमें एसबीआई बीकानेर और एसबीआई जयपुर का एकीकरण 1963 को होने के कारण इनकी संख्या 7 हो गई 

*सहकारी बैंकों की स्थापना 1954 में अखिल भारतीय ग्रामीण साख सर्वेक्षण समिति की सिफारिशों पर किया गया जिसमें त्रिस्तरीय बैंकिंग संरचना है।

* क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक की स्थापना 1975 में शुरू की गई। ग्रामीण क्षेत्रों में साख सुविधाएं पहुंचाने के लिए व्यापारिक बैंक द्वारा इनको स्थापित किया गया ।

*राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक की स्थापना 1982 को की गई।

 *ग्रामीण साख उनके नियमन और शोध एवं अनुसंधान कार्य द्वारा ग्रामीण क्षेत्र के विकास के लिए इसे स्थापित किया गया था ।

*आयात निर्यात बैंक -1982 में इसे स्थापित किया गया जिसका मुख्य उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए साख सुविधाएं प्रदान करना है।

3 वर्तमान स्वरूप

*वर्तमान स्वरूप को इस प्रकार वर्गीकृत करते हैं
* शीर्ष बैंकिंग संस्थाओं के अंतर्गत तीन संस्थाएं आती हैं 

क .रिजर्व बैंक

ख .राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक 

ग .आयात निर्यात बैंक
 

*अन्य बैंकिंग संस्थाओं में शामिल है

a वाणिज्यिक बैंक 

bसहकारी बैंक 

c भूमि विकास बैंक

d औद्योगिक विकास बैंक.

a वाणिज्यिक बैंक इसे भी तीन भागों में बांटा जाता है सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक ,निजी क्षेत्र के बैंक और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक

*सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक में स्टेट बैंक समूह और अन्य राष्ट्रीयकृत बैंक आते हैं.

b सहकारी बैंक इसकी संरचना त्रिस्तरीय होती है राज्य सरकारी बैंक, जिला सहकारी बैंक और प्राथमिक एवं समितियां इसके अंतर्गत आते हैं.

c भूमि विकास बैंक

 इसके अंतर्गत राज्य भूमि विकास बैंक और प्राथमिक भूमि विकास बैंक खाते हैं.

d औद्योगिक विकास बैंक

 इसे दो भागों में वर्गीकृत किया जाता है जिसमें 

*अखिल भारतीय स्तर पर आईएफसीआई आईसीआईसीआई और आईडीबीआई आते हैं 

*और राज्य स्तर पर राज्य वित्त निगम और राज्य औद्योगिक विकास बैंक आते हैं.

दोस्तों कैसी लगी आज की पोस्ट कमेंट जरूर करें.










 

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