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परियोजना निर्माण और परियोजना प्रतिवेदन

मित्रों पिछले ब्लॉग में हमने उद्यमिता विकास कार्यक्रम के बारे में जाना। उद्यमिता विकास कार्यक्रम के पश्चात एक बात स्पष्ट करना अनिवार्य हो जाता है कि किसी भी उद्योग को स्थापित करने के लिए उसकी रूपरेखा का तैयार होना आवश्यक होता है वह रूपरेखा प्रोजेक्ट या परियोजना कहलाती है

अब प्रश्न है परियोजना क्या है?

 किसी भी कार्य को व्यवस्थित तरीके से करने के लिए उसे अच्छी तरीके से संपादित करने के लिए उसका विश्लेषण ,उस में आने वाली कठिनाइयों का अध्ययन, उसे सुगमता पूर्वक संचालित करने के तरीके और समय अवधि  इन सभी चीजों के बारे में जानना आवश्यक होता है  उससे लिए  एक रूपरेखा तैयार की जाती है. 

ठीक उसी प्रकार से पिरयोजना किसी भी उद्योग को स्थापित करने के लिए वैज्ञानिक आधार पर विकसित किया गया प्रारूप होता है जो निश्चित अवधि में निश्चित उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए तैयार किया जाता है.
इसी से मिलता-जुलता है एक और प्रश्न है 

परियोजना निर्माण क्या है?

परियोजना निर्माण परियोजना विचार का सुव्यवस्थित विवरण होता है जिसमें परियोजना के विभिन्न घटकों का मूल्यांकन किया जाता है जिससे विनियोग संबंधित निर्णय लिए जा सके.

परियोजना निर्माण में कौन-कौन से लोग सम्मिलित होते हैं?

अर्थशास्त्री, बाजार विश्लेषक, अभियंता, लेखापाल सरकारी पदाधिकारी.

परियोजना की आवश्यकता क्यों होती है ?

नए उद्योगों को स्थापित करने के लिए या पुराने उद्योग की नई इकाइयों की स्थापना के लिए परियोजना निर्माण की आवश्यकता होती है.

परियोजना निर्माण के समय उद्यमी के सामने कौन-कौन सी कठिनाई आती है?

तकनीकी का चुनाव ,योग्य कर्मचारियों की भर्ती ,पूंजी की व्यवस्था करना और सरकारी नियम कानून यह सभी परियोजना निर्माण के मार्ग में आने वाली कठिनाइयां हैं.

परियोजना निर्माण के कौन-कौन से तत्व हैं

परियोजना निर्माण के तत्व

1 व्यवहार्यता  विश्लेषण

2 तकनीकी आर्थिक विश्लेषण

3वित्तीय विश्लेषण

4 निवेश विश्लेषण

5 सामाजिक लागत लाभ विश्लेषण

6 परियोजना  आकलन

इनके बारे में संक्षेप में जानकारी लेंगे

1 व्यवहार्यता विश्लेषण 

इसके अंतर्गत यह मूल्यांकन करना होता है कि परियोजना का चुनाव लाभदायक होगा या नहीं.

2 तकनीकी आर्थिक विश्लेषण

तकनीकी विश्लेषण जहां तकनीकी के चुनाव से संबंधित है वहीं आर्थिक विश्लेषण संभावित मांग उत्पादन और अनुकूल चयन नीति से संबंधित है।

3 वित्तीय विश्लेषण

संसाधनों का मूल्यांकन करने के पश्चात कोषों के स्रोत का विश्लेषण किया जाता है।

4 निवेश विश्लेषण

परियोजना निर्माण के लिए विभिन्न संसाधनों की आवश्यकता होती है. इन विभिन्न संसाधनों के लिए वित्त की आवश्यकता होती है. संसाधनों में निवेश होती हेतु उनका मूल्यांकन ही निवेश विश्लेषण से संबंधित होता है

5 सामाजिक लागत लाभ विश्लेषण

इसके अंतर्गत परियोजना का सामाजिक मूल्यांकन किया जाता है .सार्वजनिक क्षेत्र के परियोजनाओं में इस विश्लेषण की आवश्यकता होती है.

6 योजना आकलन 

यह किसी प्रस्ताव के विभिन्न पहलुओं की स्वतंत्र जांच है जो परिमाणात्मक आधार पर तथ्यों को बाहर लाता है.

मित्रों, परियोजना निर्माण से संबंधित संक्षिप्त जानकारी के पश्चात आगे हम जानेंगे परियोजना प्रतिवेदन के बारे में.

परियोजना प्रतिवेदन क्या है?

किसी परियोजना के विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण जिसमें बाजार विश्लेषण ,तकनीकी विश्लेषण, वित्तीय विश्लेषण ,आर्थिक विश्लेषण ,पर्यावरण विश्लेषण और प्रबंधकीय विश्लेषण सम्मिलित होता है. इनके द्वारा प्राप्त तथ्यों को  विवरणों और प्रतिवेदन के रूप में प्रस्तुत किया जाता है . इन सभी को मिलाकर एक मास्टर प्रतिवेदन तैयार किया जाता है जिसको परियोजना प्रतिवेदन कहा जाता है.

परियोजना प्रतिवेदन के उद्देश्य क्या है?

1यह मूल्यांकन करना कि संगठन के उद्देश्य को इसके द्वारा कहां तक पूरा किया जा सकता है।

 2 व्यवहार्यता अध्ययन के विभिन्न पहलुओं के आधार पर योजनाएं तैयार करना।

 3 उद्देश्य को कार्यान्वित करने के लिए संसाधनों को एकजुट करके धरातल पर उतारना 

4 प्रस्तावित कार्य को करने के तरीके का परीक्षण करना 

5वित्तीय कोषों के विभिन्न स्रोतों की व्यवस्था करना 

6 उद्देश्य को कार्यान्वित करने के लिए संसाधनों को एकजुट कर धरातल पर उतारना.

परियोजना प्रतिवेदन के विभिन्न पहलुओं के बारे में संक्षिप्त चर्चा  करते हैं

सामान्य सूचना
 - इसमें उद्योग की रूपरेखा संगठन संरचना उत्पाद सूचना और अन्य सूचनाएं सम्मिलित की जाती हैं 

परियोजना वर्णन 
 - इसके अंतर्गत प्लांट का स्थान,  कच्ची सामग्री, तकनीकी, बिजली ,इंधन ,पर्यावरण, प्लांट की क्षमता ,यातायात सुविधाएं आदि विभिन्न पहलुओं का वर्णन होता है।

 प्रवर्तक 

-इसमें प्रवर्तक की और अन्य महत्वपूर्ण कर्मचारियों की विस्तृत जानकारी होती है। 

उत्पाद 

-इसमें उत्पाद के आकार प्रकार प्रकृति को उनके प्रयोग की जानकारी दी जाती है 

बाजार

- इसमें अनुमानित मांग ,तीन वर्षों की अनुमानित बिक्री, प्रतियोगिता मध्यस्थ आदि के संबंध में सूचनाएं प्रदान की जाती हैं 

निर्माण प्रक्रिया एवं जानकारी

- इसमें उचित तकनीकी का चयन किया जाता है मशीन आपूर्तिकर्ताओं का चुनाव आदि की सूचना दी जाती है .

प्लांट और मशीनरी 

प्लांट और मशीनरी से संबंधित जानकारियां उपलब्ध होती हैं

 स्थान

 स्थान के अंतर्गत भवन प्लांट मशीनरी के लिए स्थान का वर्णन होता है ।

कच्ची सामग्री 

कच्ची सामग्री के अंतर्गत आपूर्तिकर्ता की जानकारी दी जाती है।
 परियोजना की लागत 
इसमें संसाधनों के लागतो को सम्मिलित किया जाता है ।

सामान्य प्रबंध और तकनीकी 

इसके अंतर्गत प्रवर्तक के कर्तव्य ,कार्यालय के कर्मचारियों के कर्तव्य, कुशल श्रमिक के बारे में उनके वेतन, मजदूरी,  संगठन की संरचना की जानकारी दी जाती है। 

वित्त प्रणाली 

इसमें समता पूंजी , ऋण पत्र, बैंक से प्राप्त उधार, प्रवर्तक ओं के योगदान का विस्तृत वर्णन होता है। 
 
कार्यशील पूंजी

- कार्यशील पूंजी से संबंधित सूचनाएं उपलब्ध की जाती है

 वित्तीय विश्लेषण

 -इसके अंतर्गत सम विच्छेद बिंदु, आंतरिक लाभांश की दर, कुछ वर्षों के आर्थिक चिट्ठे, प्रवर्तक ओं की प्रतिभूति से संबंधित सूचनाएं दी जाती है और अन्य सूचनाएं दी जाती हैं।

अब हम परियोजना प्रतिवेदन और परियोजना निर्माण में संक्षिप्त अंतर को देखेंगे

परियोजना प्रतिवेदन विनियोग के बाद की प्रक्रिया है जबकि परियोजना निर्माण एक अनुसंधान प्रक्रिया है जो विनियोग निर्णय से पहले निष्पादित किया जाता है परियोजना प्रतिवेदन में अस्थल समय सूची अभियंत्रिकी इत्यादि की जानकारी दी जाती है जबकि परियोजना निर्माण में परियोजना विचार के अलग-अलग बिंदुओं को ध्यान में रखा जाता है जैसे उद्देश्यों की पूर्ति तकनीकी सामाजिक वातावरण वित्त ।

परियोजना निर्माण के समय कुछ त्रुटियां हो होती हैं जिनको ध्यान में रखा जाता है यह त्रुटियां इस प्रकार हैं

कुछ उद्यमी अपने उपक्रम के लिए गलत उत्पाद का चयन कर लेते हैं जिसके चलते उत्पादन लागत उत्पादन की मात्रा प्रतियोगिता में समस्याएं उत्पन्न करते हैं .

क्षमता उपयोग का गलत अनुमान परियोजना के लिए कठिनाई उत्पन्न करता है .

उत्पादन के मांग और पूर्ति का अनुमान बाजार अध्ययन द्वारा किया जाता है लेकिन बाजार अध्ययन एक जटिल कार्य है इसलिए बिक्री सूचनाओं पर आधारित अनुमान से बचना चाहिए .

समय के साथ तकनीकी बदलाव होते रहते हैं उनके आधार पर तकनीकी का चयन किया जाता है गलत तकनीक सीमित साधन के साथ लागू नहीं हो सकता है.








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