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AIIB 2015

Asian Infrastructure Investment Bank
(एशियन इन्फ्राट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक)

चीन के पहल से एशिया प्रशांत क्षेत्र में एक बहुउद्देशीय विकास बैंक की शुरुआत की गई जिसका लक्ष्य क्षेत्र में आधारभूत संरचनाओं का विकास करना और सदस्य देशों का विकास करना था । 
एशियाई विकास बैंक और विश्व बैंक के तर्ज पर इसे स्थापित किया जाना था जिसे ऑफीशियली तौर पर दिसंबर 2015 में स्थापित किया गया। इसकी व्यवसायीक  शुरुआत जनवरी 2016 में हुई।
Head quarter (हेड क्वार्टर) 
बीजिंग चीन
Goals (लक्ष्य)
एशिया प्रशांत क्षेत्र में आर्थिक विकास को गति प्रदान करने के  आधारभूत संरचनाओं का विकास करना और क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ाना।
Priorities (प्राथमिकता)
ऊर्जा विद्युत उत्पादन, यातायात ,व्यापारिक वस्तुओं के आवागमन के लिए क्षेत्रीय आधारभूत संरचना का विकास और पर्यावरण संरक्षण ।
Initial Capital (प्रारंभिक पूंजी )
100 ट्रिलियन डॉलर जिसमें 20% राशि  paidup है और 80% called up है।
इसमें चीन का वोटिंग शेयर 30 बिलियन डॉलर का है उसके बाद भारत का 6.8 बिलीयन डॉलर है  है उसके बाद रूस का है  बाकी में अन्य देश शामिल है।
भारत एआईआईबी के फाउंडर मेंबर में से एक है एआईआईबी के ऑथराइज्ड कैपिटल में यह दूसरा सबसे बड़ा भागीदार देश है।
Board of Governors(बोर्ड ऑफ गवर्नर्स)
सदस्य देश के एक गवर्नर और एक अल्टरनेट गवर्नर होते हैं यह सदस्य देश द्वारा नियुक्त किए जाते हैं।
Board of Directors (बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स )
इसके सदस्यों की संख्या 12 होती है जो बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के सदस्य नहीं हो सकते 
इसमें से 9 सदस्यों को रीजनल मेंबर्स के गवर्नर के द्वारा चुना जाता है अन्य तीन सदस्य एशिया पेसिफिक रीजन के बाहर के गवर्नर के द्वारा चुने जाते हैं।
डायरेक्टर ऐसे व्यक्ति होते हैं जो आर्थिक और वित्तीय मामले के अच्छे जानकार हो 
डायरेक्टर गवर्नर के प्रतिनिधि के रूप में होते हैं ।
बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स बैंक के सामान्य संचालन, नीतियों के निर्धारण और निर्णय लेने के प्रति उत्तरदाई होते हैं।
सीनियर मैनेजमेंट 
Members( सदस्य)
सदस्य  6
प्रेसिडेंट 1, वाइस प्रेसिडेंट 5
समस्त कार्यों को छह सदस्यों का ही ग्रुप देखता है इस प्रकार बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स और सीनियर मैनेजमेंट दोनों के लगभग एक ही प्रकार के कार्य होते हैं।
International Advisory panel
(इंटरनेशनल एडवाइजरी पैनल)
उद्देश्य
प्रेसिडेंट और सीनियर मैनेजमेंट का सपोर्ट करना साथी नीतियों और संचालन में सहायता करना।
नोट -  प्रेसिडेंट इंटर नेशनल एडवाइजरी पैनल के सदस्यों की नियुक्ति 2 वर्षों के लिए करता है जिन्हें नए सिरे से अगले 2 वर्ष के लिए बढ़ाया जा सकता है या अन्य नए व्यक्ति की नियुक्ति की जा सकती है ।
*पैनल वर्ष में दो बार मिलता है वार्षिक वार्षिक मीटिंग के समय और बैंक हेड क्वार्टर में ।
*पैनल के सदस्यों का कोई वेतन नहीं होता एक सम्मानजनक छोटी राशि दी जाती है।
AIIB की सदस्यता 
विश्व बैंक ,एशियाई विकास बैंक के सदस्य इसके सदस्य बन सकते हैं ।
रीजनल और नन रीजनल एशिया और एशिया के देश इसके सदस्य बन सकते हैं।
 बड़े-बड़े अंतरराष्ट्रीय संगठन इसके सदस्य बन सकते हैं।
भारत और AIIB
भारत के नजरिए की बात करें तो भारत को प्रथम 10 वर्षों में 4.5 ट्रिलियन डॉलर वित्त की आवश्यकता है जो इसके बुनियादी जरूरतों घरेलू विकास के लिए आवश्यक है।
देश के आंतरिक वित्त प्रबंधन द्वारा विभिन्न क्षेत्र की परियोजनाओं में निवेश की मांग को देखते हुए यह जुटा पाना कठिन है इस प्रकार बहुउद्देशीय लक्ष्यों को हासिल करने के लिए वित्तीय आवश्यकता की पूर्ति  AIIBद्वारा होगी और इसके लिए मंजूरी भी मिल चुकी है जो चरणबद्ध तरीके से भारत को प्राप्त हो रहा है ।
2020 में ही बैंक द्वारा 75 करोड़ अमेरिकी डॉलर के ऋण की मंजूरी दी गई ताकि भारत कोरोनावायरस लड़ाई में कमजोर तबके की सहायता कर सकें ।
आगामी बैठक 
एआईआईबी के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स द्वारा 2021 के वार्षिक बैठक की घोषणा की गई ।
यह बैठक 27-28 अक्टूबर 2021 को दुबई यूएई में होगी 
यह पहली बार है जब स्थापना के बाद इस की वार्षिक बैठक मध्य पूर्व एशियाई देश में की जाएगी।
2021 के बैठक में आय आय बी के सदस्य देश साझेदार संस्थाएं व्यापारिक कंपनियां लोक सामाजिक संगठनों और विभिन्न क्षेत्र के विशेषज्ञों के लिए एक मंच तैयार करेगा ।
बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की बैठक 2020 में चीन के बीजिंग शहर में हुई थी।
क्या एआईआईबी के माध्यम से चीन द्वारा सदस्य देशों को सहायता  लेनी चाहिए विशेषकर भारत के संदर्भ में
*चीन द्वारा सर्वप्रथम इस बैंक की स्थापना का सुझाव 2009 में ही दिया गया था ।
*अन्य विश्वस्तरीय वित्तीय संस्थाएं विशेषकर विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक पर अमेरिका और जापान का प्रभुत्व होने के चलते चीन या रूस जैसे देश अन्य सदस्यों की तरह ही देखे जाते थे और जब इस संस्था से फंडिंग की बात आती है तो यह जापान और अमेरिका की स्वीकृति के बिना सदस्य देशों को नहीं दे सकता है। उनके प्रभुत्व और हस्तक्षेप के कारण ही चीन द्वारा  AIIB स्थापना की पहल की गई ।
*चीन के पास आवश्यकता से अधिक मुद्रा भंडार होने के कारण भी उसे ऐसी संस्था की आवश्यकता थी जिनके माध्यम से वह इसका उपयोग कर सकें ।
*चीन की मनसा को सभी देश जानते हैं कि उसकी विस्तार वादी नीति   तिब्बत.  बांग्लादेश नेपाल के  अलावा अन्य देशों  को परेशान कर सकते हैं इसीलिए आर्थिक दृष्टि से पिछड़े देश प्रत्यक्ष रूप से चीन की मदद लेने से डर रहे हैं ।
*चीन इस बैंक के माध्यम से सदस्य देशों की मदद कर अपनी उदारवादी छवि को विश्व के सामने लाना चाहता है ।
*चीन यह मानता है कि भारत में विकास की असीम संभावनाएं हैं और विकास के लिए भारत के पास खुद के आंतरिक संसाधन है भारत में निवेश करना ज्यादा सुरक्षित है ।
*भारत को AIIB के माध्यम से दी जाने वाली सहायता या ऋणअंतरराष्ट्रीय समझौते के अंतर्गत दिए जाते हैं जिसमें अन्य दूसरे देश भी शामिल है

*भारत एआईआईबी का फाउंडर मेंबर है जिसकी अंश भागीदारी चीन के बाद सबसे ज्यादा है।
 उपरोक्त तथ्यों द्वारा यह स्पष्ट हो जाता है कि एआईआईबी से प्राप्त वित्तीय सहायता या ऋण चीन और भारत दोनों देशों के हित में है।

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