Skip to main content

IDBI- 1964

IDBI भारतीय औद्योगिक विकास बैंक

परिचय 

*आईडीबीआई की स्थापना 1964 में संसद द्वारा एक बिल पारित कर की गयी।

*इस पर भारत सरकार का स्वामित्व है ।

*वर्तमान में कुल हिस्सेदारी का 77% भाग भारत सरकार के पास है।

इतिहास 

*आईडीबीआई की स्थापना एक औद्योगिक विकास संस्थान के रूप में भारत सरकार द्वारा आईडीबीआई एक्ट 1964 के अंतर्गत की गयी।

* यह 2004 तक एक विकास बैंक के रूप में कार्यरत रहा ।

*2004 में ही इसे बैंक के रूप में परिवर्तित कर दिया गया।

* यह लोक वित्त संस्थान के रूप में संबंधित था जो कंपनी अधिनियम 1956 के प्रावधानों के मुताबिक कार्यरत था। 

*प्रारंभ में यह रिजर्व बैंक की सहायक संस्था के रूप में कार्यरत था।

*1975 में इसे आरबीआई से अलग कर दिया गया ।

*1976 में यह एक स्वतंत्र और स्वायत्त संस्था के रूप में भारत सरकार के अधीन पुनर्गठित किया गया।

उद्देश्य

आईएफसीआई, आईसीआईसीआई, आईआरसीआई एलआईसी, यूटीआई ,एसबीआई राष्ट्रीय कृत बैंकों के कार्यों को समन्वित करना ,उनका नियमन करना और उनके कार्यों का पर्यवेक्षण करना ।

कार्य

*औद्योगिक उपक्रमों को वित्तीय सहायता उपलब्ध करना ।

*औद्योगिक विकास में प्रयत्नशील उपक्रमों को प्रोत्साहित करना ।

*उद्योग के प्रवर्तन और विस्तार के लिए तकनीकी तथा प्रशासन की सहायता उपलब्ध करना ।

*उद्योगों के विकास से संबंधित बाजार सर्वेक्षण तथा शोध कार्य में भाग लेना ।

*बैंक और अन्य वित्तीय संस्थानों द्वारा स्वीकृत किए गए औद्योगिक ऋणों को पुनर वित्त उपलब्ध कराना।

*निर्यात को निर्यात का वित्तपोषण करना ।

*अन्य विशिष्ट वित्तीय संस्थाओं के अंशों एवं ऋण पत्रों में अभिदान करके उनकी सहायता करना।

 उत्पाद और सेवाएं

होम लोन ,संपत्ति से संबंधित ऋण शिक्षा से संबंधित ऋण, व्यक्तिगत ऋण ,प्रतिभूतियों के एवज में ऋण, रिजर्व मोरगेज ऋण ,ऑटो लोन।

सेवाएं

फोन बैंकिंग ,एस एम एस ,इंटरनेट बैंकिंग ,अकाउंट अलर्ट।

*देश में कार्यरत 
 शाखाएं 1892

*मुख्य शाखा      मुंबई 

*एटीएम            3388 

*मार्च 2021 तक 
कुल संपत्ति297,764.04करोड़ रुपये।

* चेयरमैन    एमआर कुमार 

*एमडी एवं सीईओ  राकेश शर्मा ☺☺

Comments

Popular posts from this blog

उद्यम का प्रवर्तन

भूमिका उद्यमिता और उद्यमी को जानने के पश्चात अब प्रश्न यह उठता है कि उद्यम को स्थापित कैसे किया जाए ? जहां उद्यम स्थापित करने की बात आती है तब विचारों के सृजन से लेकर विभिन्न विचारों में से किसी एक विचार का चयन कर उसको कार्यान्वित रूप देने तक की समस्त क्रिया ही उद्यम की स्थापना से संबंधित होती हैं। हमने पिछले ब्लॉक में उद्यमिता और उद्यम से संबंधित बातों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी ली। इस ब्लॉग में उद्यम की स्थापना और उससे पूर्व की क्रिया- विधियों  के बारे में जानकारी लेंगे । यह क्रियाविधि प्रवर्तन कहलाती है । अब प्रश्न उठता है  "प्रवर्तन क्या है" आइए देखते हैं - प्रवर्तन की परिभाषा  प्रो. ई एस मेड के अनुसार "प्रवर्तन में चार तत्व निहित होते हैं खोज, जांच, एकत्रीकरण और व वित्त."  गुथमैन और डूगल के अनुसार "प्रवर्तन उस विचारधारा के साथ आरंभ होता है जिससे किसी व्यवसाय का विकास किया जाना है और इसका कार्य कब तक चलता रहता है जब तक कि वह व्यवसाय एक चालू संस्था के रूप में अपना कार्य पूर्ण रूप से आरंभ करने के लिए तैयार नहीं हो जाता है."   ...

क्या है औद्योगिक रुग्णता (industrial sickness )

इस ब्लॉग में हम महत्वपूर्ण टॉपिक औद्योगिक रुग्णता के बारे में संक्षिप्त जानकारी लेंगे तो चलिए देखते हैं औद्योगिक रुग्णता के बारे में- किसी भी देश के विकास का आधार औद्योगिक विकास होता है जो अर्थव्यवस्था को मजबूत आधार प्रदान करता है । कोयला और लोहा ऐसे दो उद्योग आधारभूत उद्योग हैं जिन पर अन्य उद्योग टिके होते हैं ।देश काल और परिस्थिति के अनुसार उद्योग के स्वरूप में परिवर्तन होते रहते हैं नए उद्योग स्थापित होते हैं पुराने उद्योग समाप्त हो जाते हैं या फिर समय के अनुसार अपने को परिवर्तित कर लेते हैं। औद्योगिक रुग्णता के अंतर्गत औद्योगिक इकाइयां उसी समय परिस्थिति और नवनिर्माण के दौर से गुजरने के क्रम में अपनी पुरानी स्थिति में बने रहते हुए अपने अस्तित्व को बचाने में सफल नहीं हो पाती हैं और रुग्ण  इकाइयों की श्रेणी में आ जाती हैं । यह स्थिति उनकी वर्तमान वर्ष में होती तो है ही साथ ही आने वाले वर्षों में भी इसकी संभावना बनी रहती है। सामान्य अर्थ में इसे ऐसे समझते हैं * ऐसी औद्योगिक इकाई जिसके current assets current liabilities   से कम रहे हैं। *जिसके current liabilities और curren...

उद्यमीय पर्यावरण

दोस्तों पिछले ब्लॉग में हमने उद्यमिता और उद्यमी के बारे में देखा अब उद्यमीय पर्यावरण  के बारे में बात करेंगे जिसके अंतर्गत एक उद्योग स्थापित होता है । किसी भी उद्योग को स्थापित करने के लिए प्रवर्तक के द्वारा यानी वह व्यक्ति जो उद्योग की सोच से लेकर उसको कार्यान्वित करने की स्थिति तक के लिए जिम्मेदार होता है यह काफी महत्वपूर्ण होता है कि उद्योग स्थापित करने के अनुकूल पर्यावरण है या नहीं । इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए हम लोग आगे उद्यमीय  पर्यावरण की चर्चा करेंगे चलिए देखते हैं उद्यमीय पर्यावरण के बारे में यह है क्या..  उद्यमीय  पर्यावरण की परिभाषा उद्यमीय पर्यावरण दो शब्दों से मिलकर बना है उद्यमीय और पर्यावरण.  उद्यमी का अर्थ है उद्यम से संबंधित जबकि पर्यावरण से तात्पर्य है मनुष्य जिस देश काल या परिस्थिति में जन्म लेता है और जीवन यापन करता है. रॉबिंस के अनुसार," पर्यावरण उन संस्थाओं या शक्तियों से बना होता है जो किसी संगठन के कार्य निष्पादन को प्रभावित करती हैं किंतु उस संगठन का उस पर बहुत कम नियंत्रण होता है". जोक एवं गुलिक के अनुसार ,"पर्यावरण में फर्म के ...