NABARD 1982
National Bank for Agriculture & Rural Development
राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक
*1979 आरबीआई द्वारा एक कमेटी का गठन किया गया जिसके अध्यक्ष श्री बी शिवरामन थे।
* 1981 संसद द्बारा नाबार्ड के गठन का अनुमोदन किया गया ।
*12 जुलाई 1982 नाबार्ड अस्तित्व में आया ।
*स्थापना के समय
प्रारंभिक पूंजी 100 करोड़ रुपए थी।
*31 मार्च 2019 तक
चुकता पूंजी 12500 करोड़ रूपए है।
*प्रबंधक संचालन कुल सदस्य 15
जिसमें
अध्यक्ष 1
एमडी 1
*दोनों का कार्यकाल 5 वर्ष है।
राज्य सरकारों के संचालक 4
केंद्र सरकार के संचालक 3
व्यापारिक बैंक के संचालक 1
राज्य सरकारी बैंक के संचालक 2
रिजर्व बैंक के संचालक 3
*इन सब की अवधि 3 वर्षों के लिए होती है।
नाबार्ड के वित्त के स्रोत
अंश पूंजी, रिजर्व और फंड्स, बॉड्स, डिवेंचर ,विशेष कोष जमाए उधार और देयताएं।
कार्य
*ग्रामीण ऋण का 50% से अधिक हिस्सा ग्रामीण बैंक और सहकारी बैंक द्वारा दिए जाते हैं जो नाबार्ड द्वारा इन बैंकों को ऋण प्रदान करने के लिए दिए जाते हैं ।
*देश में फूड पार्क के विकास के लिए और उन क्षेत्रों में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को स्थापित करने के लिए नाबार्ड द्वारा सर्वाधिक ऋण की सुविधा प्रदान की जाती है।
* सहकारी बैंकों को सीधे वित्त की सुविधा दी जाती है।
* ग्रामीण आधारभूत सुविधा विकास निधि द्वारा राज्य सरकार ,सरकारी उपक्रम ,पंचायत, स्वयं सहायता समूह और गैर सरकारी संगठनों को ऋण प्रदान किया जाता है।
*ग्रामीण आधारभूत परियोजनाओं के विकास के लिए यह वित्त (ऋण )उपलब्ध कराता है।
* प्राथमिक कृषि साख समिति यानी पैक्स के सदस्यों को साख और अन्य सुविधाएं नाबार्ड द्वारा दी जाती हैं ।
*किराए पर कृषि उपकरणों की सुविधा और फसलों के स्टोरेज की व्यवस्था के लिए वित्तीय सहायता नाबार्ड देता है ।
*कृषि आधारित उत्पादों के परिवहन और विपणन की सुविधा भी पैक्स के माध्यम से नाबार्ड द्वारा दी जाती है।
*प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन के अंतर्गत वाटर शेड कार्यक्रम के लिए वित्त पोषक के रूप में भी नाबार्ड महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
* मौसमी कृषि कार्य के लिए इसके द्वारा राज्य सहकारी बैंक और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को रियायती दर पर अल्प अवधि के लिए पुनर्वित सुविधा प्रदान की जाती है।
*मत्स्य पालन ,बुनकरों के लिए ,पारस्परिक सहायता समितियों ,सहकारिता क्षेत्र के लिए कार्यशील पूंजी और विपणन के लिए अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के माध्यम से नाबार्ड ऋण प्रदान करता है ।
*किसानों की फसलों के लिए अल्पावधि ऋण नाबार्ड मध्य अवधि के ऋण में बदल देता है बशर्ते की फसल का नुकसान प्राकृतिक आपदा द्वारा हुआ है।
नोट -नाबार्ड के कार्यों को उद्देश्य के रूप में लिखा जा सकता है।
Comments
Post a Comment