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अशुद्धियां एवं अशुद्धियों के प्रकार

अंकेक्षण करने का मुख्य उद्देश्य होता है  अशुद्धियों एवं गबन का पता लगाना और संस्था के लाभ व हानि की सही स्थिति की जानकारी प्राप्त करना साथी संस्था के संपत्ति और दायित्व की वस्तुस्थिति की जानकारी प्राप्त करना.

इसके लिए अशुद्धियों के अंकेक्षक द्वारा सावधानी से लेखा पुस्तकों के माध्यम से जांच की जाती है .

अशुद्धियों के प्रकार 

*सैद्धांतिक अशुद्धियां  

*लिपिकीयअशुद्धियां 

*हिसाब संबंधित अशुद्धियां 

*क्षतिपूर्ति औषधियां

*सैद्धांतिक अशुद्धियां

इनअशुद्धियों में लेखांकन के सिद्धांत से संबंधित अशुद्धियां आती हैं. जैसे पूंजीगत व्यय को अयगत व्यय मान लेना .
फर्नीचर क्रय के लिए किया गया पूंजीगत व्यय होता है .इसको आयगत में लेखा करना। 
Purchase a/c.                Dr
            To cash.   a/c 
कर दिया गया इन अशुद्धियों को ट्रायल बैलेंस के माध्यसे नहीं पता लगाया जा सकता है.

*लिपिकीय अशुद्धियां

लिपिकीय अशुद्धियों के अंतर्गत जोड़- घटाव से संबंधित अशुद्धियां, राशियों को लिखने से संबंधित अशुद्धियां, आंशिक रूप से छूट जाने वाली अशुद्धियां, गलत बॉक्स में खतौनी करने कि अशुद्धियां, शेष निकालने और तलपट में पोस्ट करने से संबंधित अशुद्धियां आती हैं. जैसे
*₹100 की जगह ₹10 की राशि को लिखना 

*ए से प्राप्त राशि बी के खाते में जमा कर दी जाए तो इससे तलपट प्रभावित नहीं होगा 

*₹800 प्रति क्विंटल अनाज 5 क्विंटल खरीदा जाए जिसकी लागत ₹4000 है और उसकी खतौनी ₹4400  की जाए तो यह भी तलपट को प्रभावित नहीं करेगा 

*एक पक्ष में लिखने वाली अशुद्धियों में यदि कमल से ₹50 प्राप्त हुए हैं लेकिन उसके खाते में ₹10 जमा किए गए तो ऐसी अशुद्धियां तलपट को प्रभावित करती हैं 

*मोहन से ₹500 प्राप्त किए गए लेकिन यह प्रविष्टि की गई कि ₹500 का भुगतान मोहन को किया गया तो इससे तलपड़ पर प्रभाव नहीं पड़ेगा

*शेष निकालते समय या जोड़ते समय जो अशुद्धियां होती हैं इनका पता तलपट से चल जाता है.

*क्षतिपूरक अशुद्धियां

इसमें एक राशि के गलती का प्रभाव दूसरे लेखा द्वारा दूर हो जाता है जैसे डेबिट साइड में यदि ₹50 कम लिख दिया जाए और दूसरे लिखे में डेविड साइड में यदि ₹50 बढ़ा दिया जाए तो यह क्षति पूरक अशुद्धियों के अंतर्गत आता है इन अशुद्धियों से तलपट प्रभावित नहीं होता है.

तलपट को प्रभावित करने वाली अशुद्धियां जिनको हम ढूंढते समय ध्यान देते हैं 

1 सबसे पहले तलपट की योग की जांच की जानी चाहिए.

2 यदि तलपट के योग में कोई अंतर होता है तो इस अंतर के बराबर की कोई राशि खाता बही में छूट तो नहीं गई है इसकी जांच की जानी चाहिए .

3 अब उसे आधा करके देखना चाहिए कि यह राशि कहीं तलपट के गलत पक्ष में तो नहीं लिखा गया है.

4 कभी-कभी अंकों के स्थान के परिवर्तन से भी तलपट में अंतर आ जाता है जैसे 36 के जगह पर 63 लिखना 96 के जगह पर 69 का लिखना.

5 तलपट के सभी खातों की गिनती की जाती है और उसका खाता सभी खातों से मिलाया जाता है कि कहीं ज्यादा तो नहीं लिखा गया है या कोई खाता लिखने से छूट तो नहीं गया है .

6 तलपट में खाता बही के योग और शेष की जांच की जाती है ,सहायक भाइयों की भी जांच की जाती है.

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