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लेखांकन आवश्यक है जबकि अंकेक्षण विलासिता

लेखांकन आवश्यक है

इसके पीछे निम्न तथ्य हैं 

1 व्यवसाय के लेनदेन ओं की संख्या असीमित होती है जिसे याद नहीं रखा जा सकता है. इन्हें स्मरण रखने के लिए लेखा पुस्तकों की आवश्यकता होती है. 

2 निश्चित समय अंतराल पर व्यवसाय के लाभ और उसकी आर्थिक स्थिति को जानने के लिए भी लेखांकन की आवश्यकता होती है.

3 चालू वर्ष के परिणामों को गत वर्ष के परिणामों से तुलनात्मक अध्ययन करने के लिए लेखांकन की आवश्यकता होती है. 

4 व्यवसाय के लिए किसी निश्चित परियोजना पर काम करना हो या फिर व्यवसाय को स्थापित करना हो तो लेखांकन की आवश्यकता होती है. 

5 न्यायालय में प्रमाणों को के रूप में पेश करने के लिए भी लेखांकन आवश्यक होता है.

6 व्यवसाय का यदि विघटन हो तो ऐसी स्थिति में भी लेखांकन आवश्यक होता है.

7 व्यवसाय के दिवालिया होने की स्थिति में भी लेखांकन की आवश्यकता होती है.

8 आयकर निर्धारण में लेखांकन आवश्यक होता है.

9 सरकार द्वारा करों के संग्रह में भी लेखांकन की आवश्यकता होती है. 

10 व्यवसाय के लाइसेंस को प्राप्त करने में भी लेखांकन आवश्यक होता है. 

11 उत्पाद की लागत को निर्धारित करने में लेखांकन की आवश्यकता होती है 

12 उत्पाद के विक्रय मूल्य निर्धारण में भी लेखांकन की आवश्यकता होती है. 

13 मानव संसाधन प्रबंधन में भी लेखांकन की आवश्यकता होती है. 

14 छल कपट से सुरक्षा करने में भी लेखांकन आवश्यक होता है.

अंकेक्षण विलासिता पूर्ण है

1 छोटे व्यापारियों के लिए अत्यधिक व्ययपूर्ण है.

2 अंकेक्षण लाभों की वैकल्पिक प्राप्ति के कारण यह छोटे व्यापारियों के लिए विलासिता पूर्ण है .

3 प्रतिष्ठा के उद्देश्य से छोटे व्यापारी द्वारा निरीक्षण का कार्य कराया जाता है .

4 इन व्यापारियों के कर्मियों के कार्य क्षमता में कमी आती है क्योंकि अंकेक्षण के लिए छोटी बड़ी बहुत सी औपचारिकताओं को पूरा करना पड़ता है. 

अंकेक्षण का कार्य एक ओर छोटे व्यवसाय के लिए विलासिता पूर्ण है वही बड़े व्यवसाय के लिए यह अनिवार्य है 

इसके पीछे निम्न तर्क दिए जाते हैं 

1 कपट का पता चलता है.

2 कर्मचारियों के कार्य क्षमता में वृद्धि होती है.

3 दिवालिया होने से पहले व्यवसायी को पता चल जाता है.

4 प्रबंधकों के कार्य क्षमता में वृद्धि होती है.

5 अंशधारियों, लेनदारों,  सरकार इन सबको लाभ प्राप्त होता है.

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