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अंकेक्षण के प्रकार

अंकेक्षण को चार आधारों पर वर्गीकृत किया गया है 

a समय के आधार पर 
b अनिवार्यता के आधार पर 
c क्षेत्र के आधार पर 
d विशिष्ट प्रयोजन के आधार पर
a समय के आधार पर 
1वार्षिक अंकेक्षण 
2 चालू अंकेक्षण 
3 अंतरिम अंकेक्षण 

b अनिवार्यता के आधार पर
 1 ज्वाइंट स्टॉक कंपनी 
2 विशेष अधिनियम के अंतर्गत पंजीकृत संस्था 
3 ट्रस्ट का अंकेक्षण 
4 ऐfच्क्षक अंकेक्षण 
इसमें एकाकी व्यवसाय साझेदारी व्यवसाय गैर व्यापारिक संस्थाओं का अंकेक्षण और अन्य व्यक्तियों का अंकेक्षण आता है.
c क्षेत्र के आधार पर 
1पूर्ण अंकेक्षण 
2 आंशिक अंकेक्षण 
3 प्रमाणिक अंकेक्षण 
4 प्रासंगिक अंकेक्षण
d विशिष्ट प्रयोजन के आधार पर 
1 रोकड़ा अंकेक्षण 
2 बैलेंस शीट अंकेक्षण 
3 विशेष अंकेक्षण 
4 वैधानिक रिपोर्ट अंकेक्षण 
5 सिस्टम अंकेक्षण
6 प्रबंध अंकेक्षण 
7 स्वामित्व अंकेक्षण 
8 संचालन आत्मक अंकेक्षण 
9 लागत अंकेक्षण
 उपरोक्त कथ्य अंकेक्षण के वर्गीकरण को दर्शाते हैं किंतु हम महत्वपूर्ण बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए और परीक्षा की दृष्टि से प्रमुख प्रकारों की चर्चा करेंगे 
a सामायिक अंकेक्षण
 सामाजिक अंकेक्षण का कार्य वित्तीय वर्ष की समाप्ति के पश्चात शुरू होता है और तब तक चलता है जब तक की सभी पुस्तकों का अंकेक्षण नहीं हो जाए सामाजिक अंकेक्षण या वार्षिक अंकेक्षण के लाभ 
1 अंकेक्षण के कार्य में समय की बचत होती है इसलिए यह मितव्यई होता है .
2 अंकेक्षण कार्य में स्वतंत्रता बनी रहती है .
3 कार्यों में पुनरावृति की संभावना कम होती है 
4 अंकेक्षण का कार्य समय पर समाप्त होता है .

दोष
गहन जांच की कमी होती है क्योंकि वर्ष समाप्ति के पश्चात यहशुरू होता है.  
2 अंकेक्षण प्रतिवेदन में विलंब होता है 
3 समय पर सलाह का अभाव होता है क्योंकि अंकेक्षण का कार्य विलंब से शुरू होता है.

2 चालू अंकेक्षण

इसमें अंकेक्षण का कार्य लगातार चलता रहता है या रुक रुक कर वर्ष पर्यंत चलता रहता है.

लाभ

1 गलती और कपट का शीघ्र पता चल जाता है. 
2 समय का सदुपयोग होता है.
3 चालू अंकेक्षण में अंकेक्षक रिपोर्ट वित्तीय वर्ष की समाप्ति के दौरान तैयार करता है.
4 इसमें अंकेक्षण और लेखांकन के कार्य साथ साथ चलते रहते हैं .
5 लेखा पुस्तकों की गहन जांच हो जाती है. 

दोष 

1 संस्था के कर्मचारियों के कार्य में बाधा उत्पन्न होती है क्योंकि अंकेक्षक द्वारा कर्मचारियों के हिसाब किताब की सत्यता की पुष्टि बीच-बीच में आकर की जाती है.

2 कार्य की सदस्यता का अभाव होता है क्योंकि अंकेक्षण कार्य अलग-अलग समय पर होते रहते हैं.
 
3 चालू अंकेक्षण के दौरान संस्था के कार्य के तरीके में ह्रास होता है और संस्था के कर्मचारी कार्य के लिए पूर्णता अंकेक्षक पर निर्भर करने लगते हैं.

4 अंकेक्षण रिपोर्ट में विलंब होता है.

चालू अंकेक्षण की परिभाषा

स्पाइसर और पैगलर के अनुसार 

चालू अंकेक्षण वह है जहां अंकेक्षक का स्टाफ वर्ष भर कार्य में व्यस्त रहता है और चालू वित्तीय वर्ष के दौरान निश्चित समय अंतराल से उपस्थित रहता है और अंतरिम अंकेक्षण संपन्न करता है .

एसडब्ल्यू रालैंड के अनुसार 

चालू अंकेक्षण वह है जो वित्तीय वर्ष के शुरू होने पर शुरू होता है और वर्ष समाप्त होने पर समाप्त होता है इस प्रकार चालू अंकेक्षण से तात्पर्य संस्था में अंकेक्षण कार्य के संबंधित वित्तीय वर्ष में लगातार चलते रहने से है जो रुक रुक कर या निश्चित समय अंतराल पर संबंधित वर्ष में चलते रहते हैं.

3 अंतरिम अंकेक्षण 

जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है  अंतरिम अंकेक्षण से तात्पर्य ऐसे अंकेक्षण से है जिसे वित्तीय वर्ष की समाप्ति से पूर्व ही खास उद्देश्य से कराया जाता है 
इस अंकेक्षण  में अंकेक्षक रिपोर्ट की आवश्यकता नहीं होती है  .
*ऐसे अंकेक्षण आंतरिक लाभांश की घोषणा करने लिए किये जाते हैं .
*साझेदारी में साझेदारों को प्रवेश उसके दिवालिया होने पर या उनके विघटन पर अंकेक्षणङ कराया जाता है संयुक्त स्कंध वाली कंपनियों के संबंध में कंपनी के एकीकरण उनके विलय या पुनर्निर्माण के समय भी आंतरिक अंकेक्षण का कार्य कराया जाता है.
 
शासकीय अंकेक्षण
 
शासकीय अंकेक्षण से तात्पर्य शासकीय कार्यालयों और विभाग के हिसाब किताब का अंकेक्षण है.भारत में इसके सबसे बड़े अधिकारी को कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल कहा जाता है  जिसकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है .
कहने का तात्पर्य है कि शासकीय अंकेक्षण के अंतर्गत सरकार द्वारा संचालित विभागों का अंकेक्षण किया जाता है जिसमें कई अधिकारी और कर्मचारी होते हैं .राज्य स्तर पर प्रत्येक राज्य में महालेखापाल कार्यालय होता है जो राज्य में केंद्र सरकार के विभागों के हिसाब और किताब राज्य सरकार के विभागों के हिसाब और किताब के लेखक की जांच करता है .

प्रमाणिक अंकेक्षण 

यह  अंकेक्षण प्रणाली उन्हीं संस्थाओं के लिए काम करती है जिनमें पहले से ही  आंतरिक निरीक्षण व्यवस्था प्रभावी ढंग से लागू हो. इसमें कुछ मद की पूर्ण जांच और विश्लेषण किया जाता है और शेष मदों की परीक्षण जांच की जाती है.

स्थिति विवरण अंकेक्षण 

स्थिति विवरण व्यवसाय का दर्पण होता है जो लेखांकन वर्ष के अंत में व्यवसाय के संपत्ति और दायित्व की स्थिति को दर्शाता है .गैर व्यापारिक संगठनों और बड़े-बड़े व्यवसायिक संस्थानों के लिए स्थिति विवरण अंकेक्षण अनिवार्य होता है.
विशेष अंकेक्षण
 
कंपनी अधिनियम द्वारा स्थापित संस्थाएं तथा  विशेष प्रावधान के अंतर्गत स्थापित संस्थाएं सरकार के आदेश पर विशेष अंकेक्षण कराती हैं. इस अंकेक्षण में अंकेक्षक की नियुक्ति सरकार द्वारा की जाती है या यह अधिकार अन्य चार्टर्ड अकाउंटेंट्स के फॉर्म को दिया जाता है.
 
प्रबंधकीय अंकेक्षण प्रबंध

प्रबंधन के क्षण के अंतर्गत अंकेक्षक संस्था के संगठन चार्ट उसके नियमावली और प्रबंध के दायित्व कर्तव्य की अध्ययन कर प्रबंध की जांच करता है साथ ही प्रबंधकों के अधिकार के अनुसार दिए गए आदेश की भी जांच करता है जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि प्रबंध द्वारा संस्था हित में अधिकारों और दायित्वों का प्रयोग किया गया है परिचालन अंकेक्षण इसके अंतर्गत अंकेक्षक संस्था के विभिन्न विभागों के संचालन की जांच करता है और विभिन्न स्तरों पर प्रबंध को सुझाव देता है इसमें जांच करना मूल्यांकन करना सत्यापन करना रिपोर्ट देना सुझाव देना शामिल किया जाता है.

लागत अंकेक्षण 

लागत लेखांकन का आशय लागत के लेखों का सत्यापन करना और लागत लेखे से संबंधित योजनाओं के कार्यान्वयन की जांच करना है.
 इसमें कार्यों को दो वर्गों में बांटा जाता है 
1 लागत लेखांकन की जांच 
2 लागत लेखों की प्रणाली की जांच

आंतरिक अंकेक्षण 


इसके अंतर्गत संस्था के अंकेक्षण का कार्य संस्था के ही कर्मचारियों के द्वारा किया जाता है .आंतरिक अंकेक्षण को निजी अंकेक्षण भी कहा जाता है .वर्तमान में बड़ी-बड़ी कंपनियां चार्टर्ड अकाउंटेंट को कर्मचारी के रूप में नियुक्त कर आंतरिक अंकेक्षण करवाती है. इसमें अंकेक्षक अपना प्रतिवेदन नहीं देता बल्कि संस्था के मालिक को या प्रबंधक को अपना सुझाव देता है.

 बाहरी अंकेक्षण


इसके अंतर्गत संस्था अपने लेखा पुस्तकों की जांच एक स्वतंत्र और निष्पक्ष अंकेक्षक द्वारा करवाती है .यह एक चार्टर्ड अकाउंटेंट होता है. इस अंकेक्षण का मुख्य उद्देश्य संस्था के लेखा पुस्तकों का सत्यापन होता है. उनका प्रमाणन होता है और संस्था का प्रतिवेदन तैयार करना होता है. इस प्रकार के अंकेक्षण में अंकेक्षक का संस्था से किसी प्रकार का कोई व्यक्तिगत संबंध नहीं होता है .वह नियोक्ता द्वारा एक निश्चित पारिश्रमिक के प्रतिफल स्वरूप अंकेक्षण का कार्य करता है.

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